Sugarcane गन्ने में कैंसर (लाल सड़न रोग) का प्रकोप
गन्ने में कैंसर (लाल सड़न रोग) का प्रकोप बढ़ गया है अब तक करीब 1600 हेक्टेयर गन्ना कवक जनित रोग की चपेट में आ चुका है। विज्ञानियों ने किसानों को रोग का प्रसार रोकने के लिए संक्रमित गन्ना को खेत से निकालकर नष्ट करने के सुझाव दिए है। शरदकालीन गन्ना बुवाई में ऊष्मीय उपचार बीज उपचार व बीज बदलाव का सुझाव दिया है।
जनपद में एक लाख हेक्टेयर से अधिक गन्ना रकबा है। पोक्का बोइंग रोग के बाद अब गन्ने का कैंसर कहे जाने वाले लाल सड़न रोग का प्रकोप तेजी से बढ़ रहा है। जिला गन्ना अधिकारी डा. खुशीराम ने भी चिता जताई है। उन्होंने गन्ना विकास विभाग के कार्मिकों को लाल सड़न रोग (रेड राट) की रोकथाम के लिए किसानों को जागरूक करने के निर्देश जारी कर दिए है।
लाल सड़न रोग के यह हैैं लक्षण
उत्तर प्रदेश गन्ना शोध परिषद के प्रसार अधिकारी डा. संजीव पाठक बताते है कि गन्ने में कैंसर अर्थात लाल सड़न के लक्षण जुलाई अगस्त में ही दिखने शुरू हो जाते हे। रोग प्रभावित गन्ना की तीसरी चौथी पत्ती पीली पड़ने लगती है। पूरा गन्ना का अगोला सूख जाता है। गन्ने के तने को लंबा करने पर गन्ने पर लाल रंग का दिखाई देता है। बीच बीच में सफेद धब्बे आ जाते हैं। गन्ने के तने को छूने पर अल्कोहल जैसी गंध आती है। गांठों से गन्ना आसानी से टूट जाता है। बीज से फैलता है लाल सड़न रोग
जिला गन्ना अधिकारी डा. खुशीराम बताते है कि लाल सड़न रोग कवक जनित बीमारी है। जो कि कोलेट्रोट्राइकमनामक कवक से गन्ना बीज से फैल रही है। सिचाई के दौरान संक्रमित गन्ना के संपर्क में आने वाली पानी से पूरे खेत का गन्ना प्रभावित हो जाता है। बीज बदलाव कर रोग पर नियंत्रण पाया जा सकता है। प्रजनक और टिश्यू कल्चर बीज से होगा नियंत्रण
इन गन्ना किस्मों में सर्वाधिक प्रकोप सर्वाधिक प्रचलित गन्ना किस्म सीओ 0238 में सर्वाधिक लाल सड़न रोग का प्रभाव है। गन्ना किस्म के ब्रीडर विज्ञानी व गन्ना प्रजनन संस्थान कोयंबटूर व यूपीसीएसआर के सेवा निवृत्त निदेशक डा. बख्शीराम का कहना है कि सीओ 0238 का किसानों को प्रजनक बीज बोना चाहिए। जो गन्ना प्रजनन संस्थान करनाल में उपलब्ध है। टिश्यू कल्चर बीज से के प्रयोग पर भी लाल सड़न रोग नही लगेगा। उन्होंने तीन साल बाद गन्ना किस्म के बदलाव की भी सलाह दी है। इस तरह करें कैंसर नियंत्रण
ज्येष्ठ गन्ना विकास निरीक्षक डा. सुनील कनौजिया ने लाल सड़न रोग नियंत्रण के किसानों को टिप्स दिए है। बताया कि कवक नाशी के 0.2 फीसद घोल मे काटे गये गन्ने के टुकड़ों को उपचारित करके बुवाई करने पर लाल सड़न रोग की संभावना समाप्त हो जाती है। फसल चक्र भी कारगर है। एससीडीआइ ने 40 फीसद क्षेत्रफल पर नई अगेती किस्म सीओ 0118, कोशा 8272, सीओ 94184, सीओ 98014, कोलख 14201, कोसे 13235 गन्ना किस्म बुवाई की सलाह दी। कहा कि ट्राईकोडर्मा 5 किलो ग्राम प्रति एकड़ बुवाई से पहले खेत मे डालने पर भी रोग नियंत्रण हो जाता है। खेत से प्रभावित गन्ना को जड़ से उखाड़ कर खेत के बाहर नष्ट कर गड्ढे में दबाकर ब्लीचिग पाउडर का छिड़काव करें।